Kaash vo din laut kar aa pate
हम कब बढ़े होंगे कहते कहते, ना जाने कितने बढ़े हो गए हम, बेफिक्र दुनिया से निकल के, ज़िम्मेदारियों से लिपट गए है हम, वक़्त के साथ "हम" से बढ़ी…
हम कब बढ़े होंगे कहते कहते, ना जाने कितने बढ़े हो गए हम, बेफिक्र दुनिया से निकल के, ज़िम्मेदारियों से लिपट गए है हम, वक़्त के साथ "हम" से बढ़ी…
रुक जाओ बस अब, बहुत खेल ली पकड़म पकड़ाई वक़्त के साथ, हर वक़्त, वक़्त के साथ चलना ज़रूरी नहीं है, हर वक़्त, ज़िम्मेदारियों को निभाना ज़रूरी नहीं है, हर…