Kuch Raaz Ki Baatein

कुछ वो राज़ छिपाते गए, कुछ हम राज़ बताते गए, खुली किताब ज़िन्दगी थी मेरी, और वो हमारी ही गलतियाँ गिनवाते गए।

Continue ReadingKuch Raaz Ki Baatein